World Bank के साथ से फौलादी बनेंगे भारत के बांध, मोदी सरकार ने किया 1853 करोड़ रुपए का करार
बांधों की सेफ्टी, मैनेजमेंट और रखरखाव के लिए मिलेगी मदद
भारत में बांधों की सुरक्षा के लिए बड़ी मदद का हाथ विश्व बैंक की ओर से बढ़ाया गया है. विश्व बैंक ने भारत सरकार और 10 राज्यों के साथ मिलकर बांधों की सुरक्षा और संचालन को मजबूत बनाने के लिए 1853 करोड़ रुपए के करार पर हस्ताक्षर किए हैं. सेकेंड डैम रिहैबिलिटेशन एंड इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (DRIP-2) के तहत बांध सुरक्षा दिशानिर्देशों के निर्माण, वैश्विक अनुभव को लाने और नई तकनीकों को पेश कर के बांध की सुरक्षा को मजबूत किया जाएगा. इस परियोजना के तहत दूसरा सबसे बड़ा काम देश में डैम सेफ्टी मैनेजमेंट में बदलाव लाना है. साथ ही बांध परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए एक जोखिम-आधारित दृष्टिकोण की शुरूआत करना है जो प्राथमिक बांध सुरक्षा की जरूरतों के लिए वित्तीय संसाधनों को प्रभावी ढंग से बांटने में मदद करेगा.
120 बांधों में लागू होगी योजना
यह परियोजना छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु राज्यों में और केंद्रीय जल आयोग (CWC) के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 120 बांधों में लागू की जाएगी. परियोजना कार्यान्वयन के दौरान अन्य राज्यों या एजेंसियों को परियोजना में जोड़ा जा सकता है.
योजना से मिलेंगे कई लाभ
TRENDING NOW
इस करार को लेकर वित्तमंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने कहा कि, "बांध बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और पीने, कृषि और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए पानी की सप्लाई के लिए जरूरी बुनियादी ढांचा प्रदान करते हैं. उनकी ढांचागत सुरक्षा और ऑपरेशन मैनेजमेंट को मजबूत करने से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को संभालने में मदद मिलेगी.
गेम चेंजर साबित होगा करार
इस करार के दौरान वित्त मंत्रालय के DEA के अतिरिक्त सचिव रजत मिश्रा, 10 राज्यों के प्रतिनिधियों समेत विश्व बैंक की ओर से विश्व बैंक के भारत के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद मौजूद थे. जुनैद ने इस दौरान कहा कि इस परियोजना के नतीजे गेम चेंजर यानी बाजी पलटनेवाले साबित होंगे. सिंचित कृषि पर निर्भर लाखों भारतीयों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के साथकिसानों को भूजल पंपिंग से बाहर निकलने में सक्षम बनाना इस परियोजना का मकसद है. इससे ऊर्जा की खपत और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी. हाइड्रोलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रबंधन की चुनौती से निपटने वाले अन्य देशों के लिए यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित हो सकता है.
5 हजार से ज्यादा हैं देश में बड़े बांध
जानकारी के मुताबिक भारत में 5 हजार से ज्यादा बड़े बांध हैं. इन बांधों की भंडारण क्षमता 300 अरब घन मीटर से ज्यादा है. मानसून के सीजन में होनेवाली कम और तेज बारिश को ही मोटे तौर पर यहां पीने के पानी से लेकर खेती के कामकाज में इस्तेमाल में लाया जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए, बांधों में पानी का भंडारण देश के आर्थिक विकास और आजीविका को बनाए रखने के लिए जरूरी है. भारत में बाढ़ की औसत वार्षिक लागत 7.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 54, 867 करोड़ रुपए तक होने का अनुमान है. कई बांध बाढ़ को कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं. बांधों की विफलता उसके नीचे रहनेवाले इलाकों के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं.
पूर्वानुमान लगाने में भी मिलेगी मदद
DRIP-2 के जरिए बाढ़ के पूर्वानुमान प्रणाली और एकीकृत जलाशय संचालन को विकसित करना शामिल है, जो जलवायु लचीलापन के निर्माण में योगदान देंगे. इसी तरह बांध के साए में रहनेवाले लोगों को जलवायु परिवर्तन के संभावित खतरों से निबटने के लिए भी मदद करेगा.
10:03 PM IST